तीन रंग का झंडा आज हमारी शान है। दोस्तों आपको मालूम है कि इसी शान में सारा हिन्दुस्तान 15 अगस्त की तारीख सुनकर प्रफुल्लित हो उठता है। सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, और आसमान में लहराते तिरंगे को देख कर मन में जोश और जुनून भर जाता है। और दिल की गहराइयों से जुबां पर एक नारा आता है "हिन्दुस्तान जिन्दाबाद"।
15 अगस्त 1947 को जब नीले आसमान में तिरंगे ने अपनी जुल्फें बिखेरी थी, तब वर्षों से गुलामी की जंजीरों की टूटने की आवाज पूरी दुनिया ने सुनी थी।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, कि आज हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए 74 वर्ष पूर्ण हुए हैं। दोस्तों आज का दिन कोई साधारण दिन नहीं है, इस दिन को हम अंग्रेजों के अत्याचार और अन्याय से मुक्त हो गए थे। वैसे तो आजादी सुनने में बहुत आसान सी लगती है परंतु सही मायने में यह दिन 15 अगस्त 1947 हमें बड़े संघर्ष, मेहनत और बलिदान के बाद मिला है इस दिन लाखों-करोड़ों लोगों ने अपना खून-पसीना बहाया है और अपने जान-माल की परवाह न करते हुए आजादी की लड़ाई लड़ी है, उनके इस उत्कृष्ट प्रयासों के बाद हमें आजादी प्राप्त हुई है। 15 अगस्त 1947 से पहले हमारे देश का आलम कुछ यूँ था जहाँ एक तरफ जनसंख्या का कुछ भाग आजादी के लिए लड़ रहा था। वहीं जनसंख्या का एक भाग भारत के बँटवारे के लिए भी लड़ रहा था। और कुछ अंग्रेजों के अत्याचार, दमनकारी नीतियों, शोषण और अन्याय के खिलाफ लड़ रहे थे। इन सबके बीच भारत की आजादी की लड़ाई इतनी भी आसान नहीं थी। जब लड़ाई बाहर वालों के साथ-साथ अपनों के साथ भी हो क्योंकि इतनी बड़ी जनसंख्या को एक राह पर ले जाना मानो समुद्र में मोती खोजने के समान था। फिर भी हमारे देश के नेताओं,स्वतंत्रता सेनानियों, आंदोलनकारियों और संपूर्ण जनता के सहयोग ने इसे अपने मुकाम पर पहुँचाया था। हालाँकि इसका एक दुष्परिणाम भी सामने आया, हमें अपने देश के बँटवारे का सामना करना पड़ा। परंतु जिस तरह "शरीर के एक अंग खराब होने पर उसको अलग करना उचित होता है" शायद इस समय यह निर्णय भी उचित ही रहा होगा।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857
याद करो 1857 की क्रांति जब मंगल पांडे और रानी लक्ष्मी बाई ने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। याद करो लाल, बाल और पाल ने जब हिंसा की लड़ाई लड़ी आजादी के लिए अपने जीवन को कुर्बान किया था।
23 मार्च1931 का वो दिन जब भगत सिंह को फाँसी हुई थी और उन्होंने हँस के फाँसी के फंदे को अपने गले में डाला और इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था। एक सामान्य बालक चंद्रशेखर जिसे एक अंग्रेज जेलर ने नाम पूछा तो नाम आजाद बताया पिता का नाम स्वतंत्रता और घर का पता जेल बताया यह सुनने पर जेलर ने जब 15 कोड़े मारे तो जुबां पर सिर्फ एक ही नारा "भारत माता की जय", "इंकलाब जिंदाबाद"। याद करो सुभाष चंद्र बोस को अकेले कैसे अंग्रेजों के लिए एक फौज बनाई।
महात्मा गाँधी का सत्याग्रह, पटेल और नेहरू का संघर्ष इन सब के बलिदानों के बाद ही हमें आजादी की चादर ओढ़ने को मिली।
अंग्रेजी देन- निर्धनता और अल्पविकसित अर्थव्यवस्था
150 वर्षों के अंग्रेजी राज्य ने भारत में अत्यंत निर्धनता और कृषि और औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में पिछड़ापन एक रिक्त (heritage) के रूप में दिया है। जब 1947 में अंग्रेज यहां से गए तो वे संसार का सबसे विकृत, भूमि का प्रश्न छोड़ गए जिसमें अधिकाधिक भूमि अधिकार, पट्टेदारी की अनिश्चितता, कृषि के आदिम ढंग, प्रति एकड़ कम उपज, छोटे-छोटे जोंतें, साहूकारों का ऋण और ऊपर के बेचने पर नियंत्रण और कृषि में धन लगाने से भय, विशेष महत्वपूर्ण प्रश्न थे।
थोड़े में हम यह कह सकते हैं कि अकाल का दैत्य भारत के सामने खड़ा था और भारत जो एक समय में एशिया का अन्न भंडार था, अब शास्वत अकाल अथवा भूखे की स्थिति मैं पहुंच गया था। औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति भी इतने ही बुरी थी, एकमुखी विकास, कम उत्पादन के ढंग, श्रमिक की बुरी अवस्था और सबसे बड़ी बात यह कि अंग्रेजों का पूंजी पर नियंत्रण बना हुआ था।
अंग्रेज भारत को एक निर्धन देश छोड़ गए जिस में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम थी। दादाभाई नरोजी पहले भारतीय थे, जिन्होंने प्रति व्यक्ति आय का अनुमान लगाने का प्रयत्न किया। उन्होंने 1867-68 की प्रति व्यक्ति आय का अनुमान मोटे तौर पर ₹20 प्रति वर्ष लगाया था। उन्होंने भूमि से उत्पादन आंका, उत्पादन का मूल्य आंका, नमक, कोयला, अन्य खनिज पदार्थों और व्यापारियों के लाभ को आंका और फिर अनुमान लगाया। सरकारी आंकड़े जो मेजर एल्विन बेरिंग और डेविड बेलफर ने एकत्रित किए उनके अनुमान 1882 में यह आय ₹27 वार्षिक थी। 1901 में कर्जन की सरकार ने यहां आय ₹30 बताई परंतु विलियम डिग्बी ने अंग्रेजी भारत के लिए 1899 में यह आय 18 रू वार्षिक आंकी जो कि कर्जन के अनुमान से 43% कम थी। वी.के.आर. वी. राव ने अधिक उत्तम ढंग का प्रयोग करते हुए 1931- 32 के सारे भारत के लिए यह आए ₹62 प्रति वर्ष 6% कम अथवा अधिक, निश्चित की थी। शाह और खम्बाटा जिन्होंने अपने अन्वेषण को 1924 में प्रकाशित किया था, ने इस विषय में यह कहा था, "औसत भारतीय आय केवल इतनी ही है कि प्रत्येक तीन में से दो व्यक्ति खाना खा सकते हैं अथवा तीन समय भोजन के स्थान पर दो समय का भोजन ले सकें परंतु शर्त यह है कि वह नंगा रहें, सारा वर्ष बिना छत के निर्वाह करें, कोई मनोविनोद अथवा मनोरंजन ना करें और केवल मोटे और कम से कम पौष्टिक भोजन के अतिरिक्त और कुछ ना खाएं।"
इस प्रकार जब 1947 में अंग्रेज गए तो देश की आर्थिक अवस्था ऐसी थी कि देश शताब्दियों के आर्थिक शोषण और निश्चित अल्प विकास से लड़खड़ा रहा था, एक ऐसा देश जिसमे प्राकृतिक साधन तो बहुत है परंतु जिनमें लोग निर्धन थे।
भारतीय स्वतंत्रता का उद्घाटन
15 अगस्त 1947 को भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का अंत हो गया था भारतीय स्वतंत्रता का आरंभ हुआ 14 - 15 अगस्त की मध्य रात्रि को संविधान सभा का एक विशेष समारोह हुआ जिसमें पंडित नेहरू ने एक भावपूर्ण ऐतिहासिक भाषण दिया जिसमें उन्होंने "भारत के दुर्भाग्य का अंत" होने की घोषणा की और आशा व्यक्त की कि अब भारत पुनः अपने व्यक्तित्व को प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने कहा "बहुत वर्ष हुए हमने अपनी नियति से यह नियत स्थान (tryst) पर मिलने का प्रण किया था। आज वह समय आ गया है कि हम अपना वचन पूरा करें, संभवत पूर्णरूपेण तो नहीं परंतु पर्याप्त मात्रा में।
आज मध्यरात्रि के समय जब संसार सो रहा होगा, भारत एक नए जीवन तथा स्वतंत्रता का आवाहन कर, जागेगा। इतिहास में यह क्षण कभी-कभी आते हैं जब व्यक्ति प्राचीन स्थितियों को छोड़कर नवीन परिस्थितियों में चरण रखता है। जब एक युग समाप्त होता है और एक देश की आत्मा को जो चिरकाल तक रोंदी जाती रही हो, बोलने का अवसर मिलता है। आओ, इस महत्वपूर्ण अवसर पर, हम लोग मिलकर अपने देश तथा उसकी जनता तथा मानवता की सेवा करने का प्रण करें"
क्या इन सब संघर्षों और बलिदान के बावजूद भी हम उन क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बना पाए हैं जो भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था कुछ बुराइयों ने अपनी कैद में इस तरह जकड़ा हुआ है कि आज कहीं ना कहीं हम उस सपनों के भारत से कोसों दूर हैं जिसे हमारे क्रांतिकारियों ने देखा था। तो चलो आज इस सफलता के पावन अवसर पर हम सब शपथ लेते हैं कि हम एक नए भारत के निर्माण में एकजुट होकर सहयोग करेंगे
धन्यवाद
Nice Naveen Chandra ji,
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Thanks naveen sir , for the kind of information or data about our country or culture , this is very nice effort for country’s celebration , thanks very much
Thank You.
Happy independence to u naveen bhai…
And very well written.
Thank you.